[राजेश कुमार]
GIRIDIH (गिरिडीह)। जिले में इन दिनों रिश्वत का प्रचलन आम हो गया है। बगैर रिश्वत के यहां कोई भी काम नहीं होता है। चाहे वह काम आपके हक और अधिकार की हों क्यों न हो। लेकिन उस काम को कराने के लिए बगैर बाबुओं को चढ़ाया चढाये आपके हक की फाइल एक कदम भी आगे नहीं बढ़ेगी। रिश्वत दे देने के बाद फाइल इस रफ्तार से दौड़ने लगती है कि उसका फिर क्या कहना?
गिरिडीह जिले में चाहे पुलिस विभाग से जुड़ा मामला हो, चाहे जमीन से सम्बंधित कोई भी मामला, या फिर सरकारी दफ्तरों से जुड़ा किसी भी प्रकार का मामला हर काम के लिये घुस देना अमूमन अनिवार्य हो गया है। यदि आप घुस नहीं देंगे तो आपका होने वाला काम भी फाइलों की धूल फांकता रह जायेगा और आपकी जोड़ी की जोड़ी चप्पलें घिस जाएगी लेकिन आपका काम नही होगा।
नतीजतन यहां के लोग अब समझौता वादी हो गये हैं। क्योंकि यह पता चल गया है कि सरकारी बाबुओं की नैतिकता का पतन हो गया है। दफ्तर के बुबुओं द्वारा काम के बदले मांगे जाने वाला घुस देकर ही अपना काम कराना सही समझते हैं। क्योंकि उन्हें यह पता चल गया है कि दफ्तर के बाबुओं को बगैर घुस दिए उनका काम किसी भी कीमत पर नहीं होगा। दफ्तर के बाबुओं से बहस करने और सैंकड़ों बार दफ्तर का चक्कर काटने से अच्छा है कि “सुविधा शुल्क” देकर ही काम करा लें।
वहीं जब बाबुओं द्वारा मांगे जाने वाले “सुविधा शुल्क” जब किसी व्यक्ति को नागवार गुजरती है तो वह एसीबी की मदद लेता है। तब एसीबी अपना शिकंजा कसती है और वैसे घूसखोर सरकारी बाबुओं को रंगे हाथ धर दबोच लेती है। दबोचे गये बाबुओं को अपने साथ धनबाद ले जाती है।
गिरिडीह जिले में एंटी करप्शन ब्यूरो धनबाद की टीम ने बीते एक पखवाड़े में तीन अलग अलग थाना क्षेत्रों में छापेमारी कर तीन लोगों को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार की है। एसीबी की टीम ने बेंगाबाद के पुलिस इंस्पेक्टर के कार्यालय में छापेमारी कर इंस्पेक्टर के रीडर को गिरफ्तार की। उसके बाद एसीबी की टीम ने जिले के सरिया प्रखंड के नगर केसवारी पंचायत के रोजगार सेवक को दो हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।
वहीं एसीबी की टीम ने शुक्रवार को तीसरी कार्रवाई करते हुए जिला शिक्षा अधीक्षक के कार्यालय के लिपिक को 20 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। बीते 15 दिनों से जिले में लगातार हो रही एसीबी की कार्रवाई से भ्रष्ट लोगों में क्षणिक समय के लिये हड़कंप तो जरूर मच गया है। लेकिन एक कहावत है न “कुत्ता का पूछ भला कभी सीधा हुआ है”।