रांची(JHARKHAND)। खेल के क्षेत्र में राज्य के कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झारखंड का मान बढ़ाया है. लेकिन खिलाड़ियों को उनकी उपलब्धि के अनुसार झारखण्ड की सरकार नौकरी नहीं देती. यदि नौकरी मिलती भी है, तो सिपाही की. इस कारण कई खिलाड़ी निजी कंपनियां में नौकरी करने को विवश होते हैं.
वहीं, पड़ोसी राज्य बिहार की सरकार खिलाड़ियों को सम्मानजनक नौकरी देने में झारखंड से बहुत आगे है. वहां खिलाड़ियों को मेडल लाओ और नौकरी पाओ के आधार पर नौकरी दी जाती है। इतना ही नहीं वहां खिलाड़ियों की नियुक्ति एसडीओ, डीएसपी पद पर होती है.
झारखण्ड में 23 वर्षों में 44 खिलाड़ियों को ही मिली है सरकारी नौकरी
झारखंड राज्य बने 23 साल हो गये. इतने वर्षों में यहां मात्र 44 खिलाड़ियों को ही सरकारी नौकरी मिली है. उसमें भी अधिसंख्य को सिपाही पद पर. जबकि बिहार में 2010 में खिलाड़ियों को नौकरी देने की शुरुआत की गयी थी. अब तक वहां 271 खिलाड़ियों को नौकरी मिल चुकी है. उनमें से कई पदाधिकारी पद पर तैनात हैं. वर्तमान में बिहार में दो खिलाड़ियों को पदाधिकारी की नौकरी दी गयी है. इसमें झारखंड के लॉन बॉल के खिलाड़ी चंदन कुमार को विकास परियोजना पदाधिकारी बनने का मौका मिला है.
वहीं, एक और खिलाड़ी को पदाधिकारी बनने का मौका मिला है. इसके अलावा 69 खिलाड़ियों को दारोगा और समाज कल्याण विभाग में अधीक्षक बनने का मौका मिला है. दूसरी ओर झारखंड में कॉमनवेल्थ गेम्स के लॉन बॉल इवेंट में स्वर्ण पदक जीत चुकी लवली चौबे, रजत पदक विजेता दिनेश कुमार, सरिता तिर्की को सिपाही बनाया गया है.
2007 से हुई थी शुरुआत, कैबिनेट से पारित हुआ था संकल्प
झारखंड बनने के बाद अब तक राज्य सरकार की ओर से सीधी नियुक्ति का फायदा केवल 44 खिलाड़ियों को ही मिला है. शुरुआत में बॉक्सर अरुणा मिश्रा व तरुणा मिश्रा, हॉकी खिलाड़ी बिगन सोय, कबड्डी खिलाड़ी विंध्यवासिनी कुमारी को सीधी नियुक्ति का लाभ मिला था. 2007 में खिलाड़ियों के नौकरी को लेकर संकल्प कैबिनेट से पारित किया गया था. खिलाड़ियों को नौकरी में दो प्रतिशत का आरक्षण दिया गया. इसके तहत पुलिस विभाग में बॉक्सर अरुणा मिश्रा, तरुणा मिश्रा व झानो हांसदा को सब इंस्पेक्टर रैंक में नौकरी मिली. 2014 में कबड्डी खिलाड़ी विंध्यवासिनी को भी पुलिस में नौकरी मिली.
निराश झारखण्ड के खिलाड़ी दूसरे राज्यों का कर रहे हैं रुख
झारखंड सरकार की ओर से खिलाड़ियों को रोजगार नहीं दिये जाने के कारण यहां के प्रतिभावान खिलाड़ी दूसरे राज्य की ओर रुख कर रहे हैं. नागी मार्डी, नुपूर टोप्पो सहित कई अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ियों ने अपने बेहतर भविष्य को देखते हुए झारखंड छोड़ दिया है. वहीं, सरकारी नौकरी के चक्कर में कई खिलाड़ियों की उम्र पार हो गयी और अब वह अपने घरों के काम से ही अपना गुजारा चला रहे हैं. मधुमिता, लवली चौबे, सपना कुमारी सहित कई ऐसे दिग्गज खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से पूरी दुनिया में झारखंड को आगे ही बढ़ाया है.
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