व्रत के तीसरे दिन शनिवार को 10: 21 बजे के बाद व्रती के पारण के साथ तीन दिवसीय पर्व होगा समाप्त
GIRIDIH (गिरिडीह)। संतान के दीर्घायु की कामना को लेकर तथा पित्तरों के आत्मा की शांति के लिये मनाया जाने वाला तीन दिवसीय जितिया पर्व गुरुवार को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ।
इस पर्व को लेकर माताओं का उत्साह चरम पर है। गुरुवार को आश्विन कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के मौके पर माताएं अहले सुबह स्नान आदि कर पूरे भक्ति भाव से जितवाहन, लक्ष्मी, सरस्वती, चूल्हो और सियारों इन पांच देवी देवताओं को झींगा के पत्ते पर पेड़ा और खीरा का प्रसाद चढ़ा अपने संतान के दीर्घायु की कामना की। वहीं कतिपय माताएं अपने संतान के लिये डलिया भी भर कर उनके दुर्घायु होने के साथ साथ घर और परिवार के सुख शांति और समृद्धि की कामना की। वहीं पित्तरों के निमित्त भी प्रसाद आदि चढ़ा उनकी आत्मा की शांति की दुआएं ईश्वर से मांगी।
पूजन के उपरांत माताएं पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ आज का भोजन बनायी। भोजन में नोनी साग, झींगा, कन्दा आदि की सब्जी के साथ अन्य कई प्रकार के मौसमी सब्जी के अलावे मुख्य रूप मडुआ के आटे की रोटी के साथ खाध्य सामग्री बनायी। फिर व्रती के साथ साथ पूरे परिवार के लोग उक्त भोजन को ग्रहण किया। इस दिन कई माताएं झींगा मछली व पोठी मछली आदि का भी बनाती है और प्रसाद स्वरूप उसका सेवन करती है।
इस पर्व के दूसरे दिन अर्थात शुक्रवार को अष्टमी तिथि पर व्रती महिलाएं अपने संतान की सुख, शांति और समृद्धि के साथ उनके दीर्घायु की कामना को लेकर 24 घण्टे का निर्जला उपवास करेंगी। वहीं तीसरे दिन अर्थात शनिवार को नवमी तिथि पर इस व्रत का पारण करेंगी। वही पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिये शनिवार को नवमी तिथि पर ही व्रती उनके निमित्त भोज्य पदार्थ प्रदान कर उनकी आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना करेंगी। इस वर्ष आश्विन कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि शनिवार को सुबह 10: 21 बजे के बाद पड़ रहा है। सारे कर्म को पूरा कर महिलाएं व्रत का पारण करेंगी। इसके साथ ही यह तीन दिवसीय पर्व समाप्त हो जाएगा।