200 करोड़ में हुई गांडेय विधानसभा की सीट खाली करने की डील : बाबूलाल मरांडी

GIRIDIH (गिरिडीह)। झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने गांडेय से झामुमो विधायक डॉ सरफराज अहमद का इस्तीफा देना कई सवालों को जन्म देता है. उन्होंने डॉ सरफराज के इस्तीफे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि गांडेय विधानसभा सीट खाली करने के लिए बड़ी डील हुई है. उन्होंने कहा कि चर्चा है कि सीट खाली करने के लिए 200 करोड़ रुपए में डील हुई है. यही वजह रही कि डॉ अहमद इस्तीफा देने के बाद गिरीडीह नहीं लौटकर दिल्ली चले गए. चर्चा यह भी है कि डील की रकम दुबई और इंग्लैंड में खपाई जा रही है. हालांकि इस बारे में उन्हें पुख्ता जानकारी नहीं है.

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मंगलवार को दुमका से गिरीडीह लौटने के क्रम में कुछ समय के लिए बेंगाबाद के कर्मजोरा मोड़ पर रुके बाबूलाल पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. यहां उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों के साथ बैठक भी की।

 

एक सवाल के जवाब में बाबूलाल ने कहा कि डॉ सरफराज अहमद न तो अस्वस्थ थे और न ही उन्हें किसी प्रकार की परेशानी थी. फिर, अचानक इस्तीफा देने की क्या जरूरत पड़ गई. यह अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के गांडेय से चुनाव लड़ने की बात पर उन्होंने कहा कि कल्पना सोरेन ओडिशा की रहने वाली हैं. वह झारखंड में आरक्षित सीट से चुनाव नहीं लड़ सकती हैं. वह किसी सामान्य सीट से ही चुनाव लड़ सकेंगी. इसलिए गांडेय सीट को सुरक्षित किया गया है.

 

मौके पर भाजपा नेता राजेश पोद्दार, रामरतन राम, देवान बेसरा, हीरालाल मुर्मू, सिकंदर हेम्ब्रम, जयप्रकाश मंडल आदि उपस्थित थे.

 

विधायक डॉ सरफराज अहमद के इस्तीफे के बाद झारखंड के सियासी गलियारे में हलचल मची हुई है. अटकलों का बाजर गर्म है. राज्य के साथ-साथ गांडेय की सियासत भी गरमा गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भविष्य में पद से इस्तीफा देने की बात भी चर्चाओं में आ रही है. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय विधानसभा से चुनाव लड़ सकती हैं.

 

बहरहाल आने वाले समय में झारखंड की राजनीति में क्या हलचल होने वाली है वह आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन गांडेय विधानसभा सीट अब हॉट सीट बन गई है. सभी की निगाहें गांडेय पर टिकी हुई हैं. इधर, विधायक डॉ सरफराज अहमद ने अपने इस्तीफे को निजी फैसला बताया है. कहा है कि अपने अनुभव के आधार पर संगठन और राज्य की सेकुलर सरकार के हित में यह कदम उठाया है.

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