स्त्री और पुरुष के आपसी तालमेल से हो सकती है आदर्श परिवार की स्थापना : डॉ अनुज

◆गिरिडीह कॉलेज में सम्पन्न हुआ “पुरुष उत्पीड़न” विषयक संगोष्ठी

 

गिरिडीह। गिरिडीह कॉलेज में एनएसएस इकाई-2 एवं आईकक्यूएसी के तत्वावधान में ‘पुरुष उत्पीड़न’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया।एनएसएस-2 की प्रभारी प्रो अरुणिमा सिंह की अगुवाई में छात्र छात्राओं के बीच आयोजित इस संगोष्ठी की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ अनुज कुमार ने तथा संचालन प्रो धर्मेंद्र कुमार ने किया।

 

 

डॉ अनुज कुमार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के समीप होने पर भी पुरुष उत्पीड़न जैसे नए मुद्दे पर संगोष्ठी विचारणीय है। उन्होंने कहा कि सदियों से पुरुष उत्पीड़ित होते आ रहे हैं। कैकेई के उत्पीड़न से ही दशरथ ने आहत होकर राम को वनवास दिया।आज के पुरुष भी उत्पीड़ित होते हैं लेकिन मुंह नहीं खोलते हैं। आवश्यकता है स्त्री और पुरुष दोनों के आपसी तालमेल का, तभी आदर्श परिवार की स्थापना हो सकती है।

 

 

 

प्रो सतीश यादव ने कहा कि वर्तमान समय में पुरुषों का उत्पीडन की पृष्ठभूमि को समझना आवश्यक है। पुरुष उत्पीड़न का प्रभाव मनोवैज्ञानिक रूप से घातक है। प्रो विनीता कुमारी ने कहा कि महिला और पुरुष समाज के दो पहिए हैं जिनके सहयोग से ही विकसित समाज का निर्माण होता है, इसलिए वर्तमान में दोनों को एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए ताकि न ही महिला और न ही पुरुष का उत्पीडन हो।

 

 

संगोष्ठी में उत्कृष्ट विचार प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया। जिसमें छात्रा हीना परवीन को प्रथम एवं विकास कुमार को द्वितीय पुरस्कार देकर उन्हें सम्मानित किया गया। मौके पर प्रो रश्मि कुमारी, प्रो आशा रजवार, रंजीत, हीरालाल, अवधेश मिश्रा, सिमरन, राहुल यादव, विशाल समेत काफी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

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