झारखण्ड की राजनीति में नया साल के पहले दिन आया भूचाल
[राजेश कुमार]
GIRIDIH (गिरिडीह)। नया साल शुरू होते झारखंड की राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है। गिरिडीह जिले के गांडेय विधायक डॉ सरफराज अहमद ने इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष ने 31 दिसंबर, 2023 की तिथि से स्वीकार कर लिया है। इस बाबत झारखंड विधानसभा सचिवालय ने 1 जनवरी, 2024 को आदेश जारी कर दिया।
सचिवालय की ओर से जारी आदेश में प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर ने कहा है कि पंचम झारखंड विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्र गांडेय से निर्वाचित सदस्य डॉ सरफराज अहमद द्वारा विधानसभा के अपने स्थान से दिये गये त्याग-पत्र को अध्यक्ष द्वारा स्वीकृत कर लिया गया है। इसके फलस्वरूप झारखंड विधानसभा में उक्त स्थान 31 दिसंबर, 2023 के प्रभाव से रिक्त हो गया है।
झारखंड के गांडेय विधानसभा क्षेत्र से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक डॉक्टर सरफराज अहमद ने निजी कारणों का हवाला देते हुए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। पिछले कई दिनों से सरफराज अहमद के इस्तीफे देने की खबर आ रही थी।
वर्ष 2019 में भाजपा को हरा डॉ अहमद ने जीता था सीट
बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-झामुमो गठबंधन में सीटों के बंटवारे में गांडेय विधानसभा की सीट झामुमो के खाते में आई थी। तब डॉ सरफराज अहमद कांग्रेस में थे। आखिरी समय में उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया। झामुमो के टिकट पर चुनाव जीत गए। हालांकि उम्मीद के अनुरुप मंत्री नहीं बन पाए। अल्पसंख्यक कोटे से झामुमो ने हाजी हुसैन अंसारी को मंत्री बनाया। हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद एक बार फिर उन्हें आस जगी। झामुमो ने हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हफीजुल अंसारी को मंत्री बना दिया।
कांग्रेस छोड़ रातों रात झामुुमो का दामन थामा था सरफराज अहमद
बता दें कि 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन में सीटों के बंटवारे में गांडेय विधानसभासीट झामुमो के खाते में आई थी। उस समय सरफराज अहमद कांग्रेस में थे। बाद में उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया था। झामुमो ने उन्हें गांडेय से उम्मीदवार बनाया। चुनाव में सरफराज अहमद को जीत मिली थी।
इसके पूर्व सरफराज अहमद 2005 में राजद से गांडेय विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे लेकिन झामुमो के सालखन सोरेन ने उन्हें हरा दिया था। 2009 में सरफराज अहमद कांग्रेस से ही चुनाव लड़े और उन्होंने 2005 की हार का बदला सालखन सोरेन से ले लिया था। लेकिन 2014 में जब सरफराज अहमद कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतरे तो मोदी लहर में भाजपा के जेपी वर्मा ने बाजी मार ली थी। इस चुनाव में सरफराज अहमद तीसरे स्थान पर थे। लेकिन 2019 के चुनाव में सरफराज अहमद ने कांग्रेस से नाता तोड़ झामुमो का दामन थाम लिया और गठबंधन के तहत झामुमो की टिकट पर जीत दर्ज की।
गिरिडीह लोकसभा सीट से रह चुके हैं कांग्रेस के सांसद
सरफराज अहमद पिछले लगभग 50 सालों से राजनीति में हैं और कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने विभिन्न पदों पर सेवा दिया हैं। अविभाजित बिहार में डॉ अहमद कांग्रेस पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और गिरिडीह लोकसभा से सांसद भी रह चुके हैं। यही नहीं सरफराज अहमद के पिता डॉक्टर इम्तियाज अहमद भी गिरिडीह से सांसद रह चुके हैं। फिलहाल लोकसभा चुनाव और झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले सरफराज अहमद के इस्तीफा के बाद कई अटकलें लगाई जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि उनकी कांग्रेस में उनकी वापसी हो सकती है। वहीं राजनीतिक गलियारे में यह भी अटकल लगाई जा रही है कि यह इस्तीफा एक प्लानिंग का हिस्सा है। जिसका बड़ा रिवार्ड डॉ अहमद को मिल सकता है। क्योंकि डाँ अहमद ने सिर्फ विधायक के पद से इस्तीफा दिया है। उन्होंने झामुमो पार्टी नहीं छोड़ी है।
निशिकांत दुबे ने सीएम पर साधा निशाना
इसके लेकर गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, “झारखंड के गांडेय विधायक सरफराज अहमद ने विधानसभा से इस्तीफा दिया, इस्तीफा स्वीकार हुआ। हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे, झारखंड की अगली मुख्यमंत्री उनकी पत्नी कल्पना सोरेन होंगी। नया साल सोरेन परिवार के लिए कष्टदायक।”
कल्पना सोरेन लड़ सकती है गांडेय से चुनाव
ईडी की रडार पर चल रहे मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद उनकी धर्मपत्नी कल्पना सोरेन मुख्यमंत्री बनेगी। यह भी तय हो चुका है। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कल्पना सोरेन को छह माह के भीतर किसी न किसी सीट से चुनाव लड़ कर जीत हासिल करनी होगी। गांडेय में मुस्लिम, आदिवासी वोट निर्णायक होता है। उसी प्लानिग के तहत डॉ अहमद ने यह सीट छोड़ दी है। ताकि कल्पना सोरेन यहां से चुनाव लड़ सकें।
गांडेय सीट झामुमो के लिए सबसे मुफीद सीट
राजनीतिक जानकार बताते है कि गांडेय सीट कई मायनों में झामुमो के लिए सबसे मुफीद सीट है। यहां जीत और हार तय करना आदिवासी और मुस्लिम वर्ग के हाथ में होता है। झारखंड में झामुमो, राजद और कांग्रेस का गठबंधन है। साथ ही लेफ्ट का सहयोग भी है। इसलिए यह तय माना जा रहा है कि सीएम हेमंत सोरेन के इस्तीफा के बाद उनकी जगह उनकी पत्नी कल्पना सोरेन लेंगी। चुकि एक बार मुख्यमंत्री रहते शिबू सोरेन जैसे नेता तमाड़ सीट से चुनाव हार गये थे। उस घटना को ध्यान में रखकर तथा सभी समीकरणों को देखते हुए गांडेय सीट को कल्पना सोरेन की जीत के लिए सबसे मुफीद माना जा रहा है। जाहिर है कि साल 2024 में झारखंड की राजनीति 360 डिग्री पर घूमने वाली है। इसलिये डॉ अहमद ने एक प्लानिग के तहत इस्तीफा दिया है। जिसका दूरगामी रिवार्ड उन्हें मिलेगा और बहुत बड़ा मिलेगा। उन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है।