◆गीता को मानने से ज्यादा गीता को जानना जरूरी : माँ ज्ञान
गिरिडीह। श्री कबीर ज्ञान मंदिर में गीता जयंती के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय आयोजन के दूसरे दिन रविवार गीता ज्ञान महायज्ञ गीता के श्लोक के मंत्रोचार द्वारा यज्ञ हवन की आहुति के साथ सम्पन्न हुआ। इस महायज्ञ में काफी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। हवन के पश्चात विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
मौके पर मां ज्ञान ने अपने संदेश में कहा कि गीता को मानने से ज्यादा गीता को जानना जरूरी है। गीता हमें मोह, लालच, इर्ष्या, द्वेष से ऊपर उठकर मानव मात्र से प्रेम करना सिखलाती है। कहा कि जब तक शरीर में सांस है तब तक परमार्थ करते रहो। गीता हमे यही सिखलाती है।
उन्होंने कहा कि गीता का अध्ययन अध्यापन हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने की क्षमता प्रदान करती है। गीता में कर्म योग, भक्ति योग और शांति योग का समीकरण है। हम जैसा कर्म करेंगे इसी अनुरूप हमारा व्यवहार होगा। इसलिए कर्म करने में सतर्कता होनी चाहिए मन वचन कर्म से कभी किसी का अहित न करें।