इस्पात प्रबन्धन ने दिखाया अपना काला चेहरा, राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय पत्रकारो को टारगेट कर लाठी चार्ज

– विस्थापितों एवं परिजनों सहित स्थानीय लोगों पर निर्ममता से बरसाई लाठियां।
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– राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय पत्रकारो को टारगेट कर लाठी चार्ज किया गया, कई घायल।

बोकारो :
बोकारो स्टील प्लांट में तीन दिन पूर्व हुए ठेका मजदूर अशोक महतो की मौत से उबले आक्रोश को दबाने के लिए एक बार फिर इस्पात प्रबन्धन ने लाठी-चार्ज का सहारा लिया है। प्लांट के मुख्य गेट पर धरना दे रहे विस्थापितों एवं परिजनों सहित स्थानीय लोगों तथा राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय पत्रकारो को टारगेट कर लाठी चार्ज किया गया है।

लाठी चार्ज से पूर्व पूरे शातिराना अंदाज़ में प्लांट गेट के आसपास की सारी लाइटें बंद कर दी गई, ताकि कोई वीडिओ नहीं ले सके। इसके बाद बीएसएल प्लांट की सुरक्षा में तैनात CISF जवानों ने लाठी चार्ज कर दिया जिसमे दर्जनों आंदोलनकारी जहाँ घायल हो गए वहीं कुछ पत्रकारों को भी मिडिया कवरेज न हो सके इसके इरादे से उनपर भी लाठियां बरसाई गई है। प्रेस के लोग खुद को प्रेस का बताते रहे पर CISF के जवानों की लाठी चटकती रही।

घायल पत्रकारों को सदर अस्पताल में इलाज किया गया है, वहीं घायल आंदोलनकारी भी जैसे तैसे भागकर कुछ का सदर अस्पताल पहुँचे तो कुछ का प्राइवेट अस्पतालों में इलाजरत है।

बताते चलें कि CISF की टीम में नही थी महिला कॉस्टेबल। लाठीचार्ज के दौरान कुछ महिलाएं भी घायल हुई है।
आंदोलनकारियो ने इस लाठी चार्ज की घटना को पूरी तरह से सुनियोजित बताया गया है। लाठी चार्ज से पहले सारे लाइट को ऑफ कर दिया गए और ना ही धरना स्थल से हट जाने को कहा गया। लाईटे इसलिए बंद कर दी गई ताकि इसकी कोई वीडियो भी ना बना सके।

बताते चलें कि बोकारो स्टील प्लांट के कोक ओवन विभाग के कोल हैडलिंग एरिया में कार्यरत मेसर्स HEMS कार्पोरेशन के ठेका मजदूर अशोक कुमार महतो करीब 40 वर्षीय की मौत बुधवार को ड्यूटी के दौरान हो गई थी।

घटना के संबंध में साथ में कार्यरत मजदूरों का बताया कि मृतक एचईएमएस कॉरपोरेशन नाम ठेका कंपनी के अंतर्गत जनरल सिफ्ट ड्यूटी पर था. फॉग गैस के कारण अचानक कार्य के दौरान तबीयत बिगड़ी। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें प्लांट के अंदर स्थित मेडिकल में ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था। तभी से मृतक के परिजन बोकारो स्टील प्लांट के मुख्य गेट पर नियोजन तथा मुआवजा की मांग करते हुए धरना पर बैठे हुए थे। इससे पूर्व त्रिपक्षीय वार्ता में समाधान निकालने का प्रयास विफल हो चुका था।

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