APRAHAN VARTA NEWS DESK
आश्विन शुक्लपक्ष पूर्णिमा शनिवार की रात्रि दिनांक- 28/29 अक्टूबर 2023 को वर्ष का अंतिम चन्द्र ग्रहण लगेगा।
कहां कहां दिखेगा यह चन्द्रग्रहण
यह खंड चंद्रग्रहण के रूप में भारत वर्ष में दिखाई देगा। साथ ही यह ग्रहण उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी भाग में, उत्तर अमेरिका के पूर्वोत्तर भाग में, ऑस्ट्रेलिया में, एशिया में, यूरोप में, आफ्रीका में, अटलांटिक महासागर में, हिन्द महासागर में, पश्चिम तथा दक्षिणी प्रशांत महासागर में भी दिखाई देगा।
इस ग्रहण का स्पर्श, मध्य तथा मोक्ष सम्पूर्ण भारत वर्ष में दिखाई देगा। किन्तु चंद्रास्त के समय आस्ट्रेलिया में, उत्तरी प्रशांत महासागर में तथा रूस के पूर्व भाग में दिखाई देगा। जबकि चंद्रोदय के समय ग्रहण का मोक्ष उत्तरी तथा दक्षिणी अटलांटिक महासागर में, पूर्वी ब्राजील में तथा कनाडा में भी दृश्य होगा।
ग्रहण का सम्पूर्ण समय
भारतीय मानक समयानुसार ग्रहण का प्रारम्भ 28/29 अक्टूबर की रात्रि में 1:05 बजे से होगा।
ग्रहण का मध्य काल रात 1:44 बजे तथा
मोक्ष काल रात 2:24 बजे होगा।
इस प्रकार यह ग्रहण कुल एक घंटा उन्नीस मिनट का होगा।
ग्रहण का सूतक
चंद्रग्रहण का सूतक ग्रहण प्रारंभ काल से 9 घंटे पहले से लग जाता है।
सूतक में क्या न करें
ग्रहण सूतक में मूर्तियों का स्पर्श करना उनका पूजन करना, मंत्र जाप, स्तोत्र का पाठ, अन्नग्रहण करना, भोजन करना, शयन करना, संभोग (मैथुन) करना, क्रोध, शोक, मोह करना, उत्सव मनाना, मंगल कार्य करना, अधिक हंसना, विवाद करना इत्यादि वर्जित है।सूतक काल में फल, जल, दूध जैसे पेय पदार्थ ग्रहण किया जा सकता है।
ग्रहण काल में क्या करें
ग्रहण के समय मंत्र जाप, यंत्र की सिद्धि होती है। अतः अपने इष्ट मंत्र का गुरु मंत्र का अधिक से अधिक जाप करना चाहिए। कीर्तन-भजन करना चाहिए।
ग्रहण के समय क्या न करें
ग्रहण काल में मंत्र जाप को छोड़कर सूतक काल के वर्जित समस्त कार्य ग्रहण में भी वर्जित हैं साथ ही मल मूत्र का त्याग करना, थूकना, भोजन करना भी वर्जित है।
बालक, बृद्ध तथा रोगियों को उक्त किसी नियम की आवश्यकता नहीं है।
ग्रहण एक पुण्यदायी अवसर है कृपया सबलोग ग्रहण में साधना करके पुण्यलाभ करें। ग्रहणकाल में जपा गया मंत्र पुरश्चरण तुल्य सिद्ध होता है।
राशि के अनुसार ग्रहण का फल
यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि पर लग रहा है है। अतः बारह राशियों पर इसका प्रभाव इस प्रकार रहेगा।
मेष- घात।
वृष- हानि।
मिथुन- लाभ।
कर्क- सुख।
सिंह- माननाश।
कन्या- मृत्यु सम कष्ट।
तुला- स्त्रीपीड़ा।
बृश्चिक- सुख।
धनु- चिन्ता।
मकर- व्यथा।
कुंभ- श्री प्राप्ति।
मीन- क्षति।
ग्रहण दोष नाशक उपाय
जिसके लिए ग्रहण अरिष्टदायक है उसे सुवर्ण (सोने) का नाग, तिल सहित कांसे का पात्र में स्वर्ण (सोना), वस्त्र तथा दक्षिणा सहित वेदज्ञ ब्राह्मण को दान करना चाहिए।
अथवा
सोने का या चांदी का चंद्र बिम्ब (चंद्रमा की आकृति) बनवाकर दैवज्ञ (आचार्य) को दान करें
अथवा
गोदान, भूमिदान, स्वर्ण दान करने से भी ग्रहण के अरिष्ट (दोष) का नाश होता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए उपाय
ग्रहण के पहले से अपनी कोख में गाय गोबर, गेरू लगाएं अथवा कपड़े में दूर्वा, तुलसी पत्ती बांधकर रखें, ग्रहण काल में शयन न करें। भगवान का स्मरण, मंत्र जपादि करें। ग्रहण काल में अन्न जल इत्यादि क सेवन न करें मल मूत्र क त्याग करना भी वर्जित है।