Giridih. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत इस बार 18 सितम्बर को मनाया जाएगा। महिलाएं निराहार रहकर शाम के समय स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर बालू की प्रतिमा बनाकर भगवान शिव एवं माता पार्वती का पूजन करेंगी।
महिलाएं यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। इस व्रत को काफी कठिन व्रतों में से एक माना गया है। मान्यता है कि देवी पार्वती ने इस व्रत की शुरुआत की थी। सुहाग की सारी वस्तुएं माता पार्वती को चढ़ाने का विधान इस व्रत में है। हरतालिका तीज का व्रत बहुत कठिन माना जाता है। इस दिन व्रतधारी को अन्न और जल का त्याग करना पड़ता है।
तीजव्रत पूजा विधि
हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं। पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद देवताओं का आह्वान कर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है। इसमें शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है। बाद में इसे दान देना चाहिए। इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ऋतु फल-मिष्ठान आदि का भोग लगाकर व्रत खोलें।
हरतालिका तीज व्रत पर बनेगा शुभ योग
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 17 सितंबर रविवार की सुबह 11:09 से 18 सितंबर, सोमवार की दोपहर 12:39 तक रहेगी। चूंकि तृतीया तिथि का सूर्योदय 18 सितंबर को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन स्वाति नक्षत्र होने से छत्र नाम का शुभ योग बनेगा। साथ ही इंद्र नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेगा।
ये हैं हरतालिका तीज के पूजा मुहूर्त
★प्रात:काल पूजा मुहूर्त- सुबह 06.07 से 08.34 तक
★शाम का पूजा मुहूर्त- शाम 06.23 से 06.47 तक
रात के चारों पहर के पूजा मुहूर्त
●पहले पहर की पूजा- शाम 06.23 से रात 09.02
●दूसरे पहर की पूजा- रात 09.02 से 12.15 तक
●तीसरे पहर की पूजा- रात 12.15 से 03.12 तक
●चौथे पहर की पूजा- रात 03.12 से सुबह 06.08 तक