GIRIDIH (गिरिडीह)। गिरिडीह कॉलेज में आईक्यूएसी के तहत हिंदी विभाग के सौजन्य से शुक्रवार को संत रविदास की स्मृति में संत रविदास का महत्व विषयक एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ.अनुज कुमार ने संत रविदास को सहज का साधक निर्गुनिया कवि बताया। राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष बालेंदु शेखर त्रिपाठी ने कहा कि संत रविदास की बानी में समतामूलक समाज का स्वप्न है। इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.धनेश्वर रजक ने रविदास के साथ संत गाडगे पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अपने सताईस वर्षीय कार्यकाल में कॉलेज में पहली बार संत रविदास पर संगोष्ठी आयोजित हुआ है।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ.बलभद्र सिंह ने किया। संचालन के क्रम में उन्होंने कहा कि भारतीय समाज और संस्कृति के निर्माण में मध्यकालीन संतों की जबर्दस्त भूमिका रही है। रैदास, कबीर, मीरा, दादू आदि के पद जनमानस में आज भी सुरक्षित हैं। भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास को इनके पदों के हवाले समझा जाने लगा है।
इस अवसर पर साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में दिलचस्पी रखने वाले शंकर पांडेय ने संत रविदास को भारतीय सांस्कृतिक चेतना का अग्रदूत बताया। वहीं बी एड के सहायक प्रोफेसर धर्मेन्द्र कुमार वर्मा ने कहा कि रविदास जैसे अनेक संत और विचारक हुए हैं जिनकी समाज को मानवीय बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है और ऐसे लोगों पर आज विमर्श की जरूरत है।
इस अवसर पर हिंदी प्रथम समसत्र के अनुराग सागर, सलोनी कुमारी, शिवानी कुमारी, आरती कुमारी, राधिका कुमारी, सागर कुमार राणा, बीएड के अजय कुमार रजक, सोनी कुमारी, श्वेता कुमारी, राजकुमार राणा, संदीप कुमार, नीतीश कुमार ने संत रविदास के पदों के पाठ करते हुए उनके अर्थ और संदर्भ पर प्रकाश डाला। बी एड की सहायक प्रोफेसर आशा रजवार पूरे कार्यक्रम में गंभीर श्रोता की भूमिका में रहीं। आईक्यूएसी के संयोजक डॉ. एमएन सिंह ने इस आयोजन के लिए बधाई दी।