आदिवासियों की बर्बादी के लिए सोरेन खानदान दोषी : सालखन मुर्मू

BOKARO (बोकारो)। आदिवासी समाज मर रहा है, रोज मर रहा है और आदिवासियों की बर्बादी के लिए सोरेन खानदान सर्वाधिक दोषी है। पिता- पुत्र के पांच बार सीएम बनने के बावजूद आदिवासियों का हासा, भाषा, जाति, धर्म, रोजगार आदि खतरे में है। उक्त बातें आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने चन्द्रपुरा में बुधवार को प्रेस वार्ता के दौरान कही।

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पूर्व सांसद ने कहा कि गिरिडीह जिला के पारसनाथ पहाड़ को इन्होंने 5.1.2023 को पत्र लिखकर जैनों के हाथ सौंप दिया। अब बोकारो जिला के लालपनिया स्थित लुगु बुरु में हाईडल पावर प्रोजेक्ट और पर्यटन स्थल बनाकर संताल आदिवासियों के महान धर्मस्थल को खतरे के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। कहा कि झामुमो के सांसद/ विधायक खुद संताली भाषा और उसकी ओल- चिकी लिपि का विरोध करते हैं। और, राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त एकमात्र बड़ी आदिवासी भाषा संताली को झारखंड की राजभाषा बनाने के खिलाफ भी हैं।

 

उन्होंने कहा कि सोरेन सरकार ने कुर्मी- महतो जाति को 8 फरवरी 2018 को आदिवासी- ST बनाने की वोट बैंक के लालच में अनुशंसा कर असली आदिवासियों का कत्लेआम कर रहे हैं। अब 1932 का झुनझुना थमा कर सबको बेवकूफ बना रहे हैं। पारिवारिक स्वार्थों के लिए सीएनटी एसपीटी कानूनों का खुद गला घोट रहे हैं।

 

आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सोरेन खानदान लूट, झूठ, भ्रष्टाचार और विज्ञापन पर सवार होकर आदिवासियों को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है। अब चुनावी मौसम में सोरेन खानदान अपने पॉकेट सामाजिक संगठनों यथा लुगु बुरू कमिटि, माझी परगाना महाल, असेका, हूल बैसी, संथाली लेखक संघ आदि के मार्फत आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित करने का आखिरी दावं खेल रहे हैं।

 

बैजू मुर्मू- घाटशिला, बाबली सोरेन- लालपनिया, दुर्गा चरण मुर्मू- जमशेदपुर, रामलाल मुर्मू- पीरटांड़ आदि सोरेन खानदान के लिए बैटिंग करते हैं ना कि आदिवासी समाज के लिए। ये लोग लुगु बुरु, मरांग बुरु और ओल चिकि बचाने के नाम पर झामुमो के वोट बैंक को बचाने का काम करते हैं। हूल वैसी के नाम से 4 जुलाई 23 को अचानक झारखंड बंद किया था। फिर सब गायब हो गए हैं। अब 5 नवंबर 23 को लुगु बुरु में सोरेन खानदान के खर्चे पर विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। विरोध क्यों और किसके खिलाफ बताना चाहिए ? उल्टे चोर कोतवाल को डांटे की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।

 

उन्होंने कहा कि वह बीते 28 अक्टूबर को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों को अविलंब सरना धर्म कोड की मान्यता देकर धार्मिक आजादी प्रदान करने की मांग किया है। प्रेषित पत्र में प्रधानमंत्री को अवगत कराया गया है कि आगामी 8 नवंबर 2023 को रांची में आहूत सरना धर्म कोड जनसभा में लाखों आदिवासी एकजुट हो रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से आदिवासियों के महान धार्मिक स्थलों यथा मरांग बुरु, लुगु बुरु, अयोध्या बुरु आदि को भी सुरक्षित करने की गुहार लगायी भे। अन्यथा इस मुद्दे को लेकर आगामी 8 दिसंबर 2023 को भारत बंद करने की बातें कही है। भारत बंद के दौरान रेल रोड चक्का जाम होगा।

 

मौके पर पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने “8 नवंबर- राँची चलो” की लोगों से अपील किया। उन्होंने बोकारो जिला में लुगु बुरु बचाने तथा गिरिडीह जिले में मधुबन स्थित मरांग बुरु को बचाने के उद्देश्य से दो नवंबर 23 को आदिवासी समुदाय से मिलकर बातचीत करने तथा सोरेन परिवार के छद्म नेताओं का पर्दाफाश करने की बातें कही। उन्होंने बताया कि इसके पूर्व उन्होंने बीते 29 अक्टूबर को अयोध्या बुरु, बाघमुंडी प्रखंड पुरुलिया जिला जाकर अयोध्या पहाड़ के उपर तिलियाबासा ग्राम में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया है।

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