RANCHI (रांची)। झारखंड में ऑनलाइन डिलीवरी ब्वॉय अब न्यूनतम मजदूरी के दायरे में आयेंगे. ऑल इंडिया गीग वर्कर्स यूनियन की राज्य कमेटी और श्रमिक संगठन सीटू ने यह जानकारी दी है. कमेटी की ओर से कहा गया कि झारखंड सरकार के श्रम विभाग ने इस दिशा में कवायद शुरू कर दिया है। बहुत जल्द इसका फलफल धरातल पर दिखेगी।
झारखंड देश का पहला राज्य होगा झारखण्ड
एडवाइजरी कमेटी जल्द इस मामले में दरों को तय करने से जुड़ी अधिसूचना जारी करेगी. अगर ऐसा होता है, तो झारखंड देश का पहला राज्य होगा जहां कॉन्ट्रैक्ट या कमीशन पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी न्यूनतम मजदूरी के दायरे में लाया जा सकेगा.
देंश के किसी भी राज्य में नही है यह व्यवस्था
गौरतलब है कि अभी तक यह व्यवस्था देश के किसी भी राज्य में नहीं है. इस सफलता को लेकर सीटू झारखंड ने इसे सभी श्रमिकों के संघर्षों के लिए बड़ी जीत बताया है. एआइजीडब्ल्यू के महासचिव प्रतीक कुमार मिश्रा ने कहा कि झारखंड में गिग कामगारों के अधिकारों की रक्षा के लिए कोरोना काल के बाद से ही संघर्ष किया जा रहा था. झारखंड के विभिन्न जिलों में लगभग 12 लाख ऐसे कर्मचारी हैं, जो ऑनलाइन डिलीवरी सिस्टम का काम करते हैं. स्वीगी, जोमैटो, ओला, उबर, अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन डिलीवरी सर्विस सिस्टम से जुड़े कर्मचारियों को फायदा पहुंचेगा.
श्रम विभाग ने शुरु किया पहल, गठित की कमेटी
झारखंड सरकार के श्रम विभाग ने इस दिशा में पहल शुरू कर दिया है. गिग वकर्स के लिए न्यूनतम मजदूरी के दायरे को तय करने के लिए श्रम विभाग ने परामर्शदातृ परिषद (एडवाइजरी कमेटी) का गठन किया है. इसमें श्रम आयुक्त संजीव कुमार मिश्रा, न्यूनतम मजदूरी के निदेशक राजेश प्रसाद, नियोक्ता और यूनियन के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है. इसने अपना काम शुरू कर दिया है. कमेटी द्वारा वर्किंग कंडीशन के हिसाब से न्यूनतम मजदूरी की राशि तय की जायेगी.