APRAHAN VARTA NEWS DESK
(Durga Puja) : इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्तूबर 2023, रविवार से हो रही है। मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व 15 अक्तूबर से शुरू होकर आगामी 23 अक्तूबर 2023, मंगलवार तक चलेगा। वहीं 24 अक्टूबर को विजयादशमी यानी दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। उस दिन ही श्रद्धालु भक्तजन अश्रुपूरित नेत्रों से माँ दुर्गा को विदाई देंगें।
आगमन और विदाई में बदल जाती है माँ दुर्गा की सवारी
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। वैसे तो माता रानी सिंह की सवारी करती हैं, लेकिन नवरात्रि में जब धरती पर आती है तो उनकी सवारी बदल जाती है। मां जगदंबे के आगमन की सवारी नवरात्रि के प्रारंभ वाले दिन पर निर्भर करती है। यानी नवरात्रि की शुरुआत जिस दिन होती है, उस दिन के आधार पर उनकी सवारी तय होती है। ठीक उसी प्रकार उनकी विदाई के दिन के आधार पर उनकी सवारी तय होती है।
माँ दुर्गा के अलग अलग दिनों के अलग अलग वाहन
माँ दुर्गा की सवारी अलग-अलग वार यानी दिन के आधार पर निर्धारित होती है। वहीं उनका आगमन और विदाई के भी अलग अलग सवारी पर होती है। जिस वाहन पर सवार हो माँ दुर्गा धरती लोक पहुंचती है उसे धरती लोक में ही छोड़ देती हैं और दूसरे सवारी पर सवार हो माँ दुर्गा वापस देवलोक जाती है। माँ दुर्गा के वाहनों में डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मनुष्य एवं हाथी शामिल होते हैं।
इस नवरात्रि माता का आगमन अधिक वर्षा का संकेत
इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत रविवार से हो रही है। रविवार के दिन से नवरात्रि शुरु होती है तो माता का वाहन हाथी होता हैं, हाथी पर सवार होकर माता का आगमन अधिक वर्षा का संकेत देता है।
माता की सवारी और उनके महत्व
मान्यता के अनुसार यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू होती है तो मां दुर्गा का वाहन हाथी होता है, जो अधिक वर्षा के संकेत देता है। वहीं यदि नवरात्रि मंगलवार और शनिवार शुरू होती है, तो मां का वाहन घोड़ा होता है, जो सत्ता परिवर्तन का संकेत देता है इसके अलावा गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होने पर मां दुर्गा डोली में बैठकर आती हैं जो रक्तपात, तांडव, जन-धन हानि का संकेत बताता है। वहीं बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती है, तो माँ नाव पर सवार होकर आती है। नाव पर सवार माता का आगमन शुभ होता है।
मां दुर्गा के प्रस्थान की सवारी और उनके संकेत
अगर नवरात्रि का समापन रविवार और सोमवार के दिन होता है, तो मां दुर्गा भैंसे पर सवार होकर पृथ्वी लोक से देवलोक को वापस जाती है, जिसे शुभ नहीं माना जाता है। भैंसे पर सवार होकर माँ दुर्गा की वापसी देश में शोक और रोग के बढ़ने का संकेत देता है। वहीं शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का समापन हो तो मां जगदंबे मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं। माता रानी के मुर्गे की सवारी दुख और कष्ट की वृद्धि की ओर इशारा करता है। वहीं बुधवार और शुक्रवार को नवरात्रि समाप्त होती है, तो मां की वापसी हाथी पर होती है, जो अधिक वर्षा को ओर संकेत करता है। इसके अलावा यदि नवरात्रि का समापन गुरुवार को हो रहा है तो मां दुर्गा मनुष्य पर सवार होकर जाती है जो सुख और शांति की वृद्धि की ओर इशारा करता है।